:حضرت فاطمه سلام الله علیها
... حَنِّطني وغَسِّلني وكَفِّنّي بِاللَّيلِ، وصَلِّ عَلَيَّ وَادفِنِّي بِاللَّيلِ، ولا تُعلِم أحَداً، وأَستَودِعُكَ اللّهَ وأَقرَأُ عَلى وُلدِيَ السَّلامَ إلى يَومِ القِيامَةِ
بحار الأنوار : ج ۴۳ ص ۲۱۴ ح ۴۴
हज़रत ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा
मुझे रात में ही हनूत करना, ग़ुस्ल देना और कफ़न पहनाना, फिर मुझ पर नमाज़ पढ़ना और रात में ही दफ़न कर देना, किसी को ख़बर न होने देना। मैं तुम्हें ख़ुदा के हवाले करती हूँ और क़यामत तक अपने बच्चों को सलाम अर्ज़ करती हूँ।
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